कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन ने दी थी शहादतहजरत इमाम हुसैन के अनुयायी खुद को तकलीफ देकर उनकी याद में मनाते हैं मातम



कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन ने दी थी शहादत
हजरत इमाम हुसैन के अनुयायी खुद को तकलीफ देकर उनकी याद में मनाते हैं मातम
मोहर्रम आज, अखाड़े में करतब दिखाएंगे प्रखंड क्षेत्र के खलीफा
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सावित्री सोनी
कुर्था, इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत मोहर्रम महीने से होती है यानी कि मोहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना होता है इसे हिजरी भी कहा जाता है हिजरी सन की शुरुआत इसी महीने से होती है यही नहीं मोहर्रम इस्लाम के चार पवित्र महीना में से एक है इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मुहूर्रम को चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इसके दसवें दिन अशूरा मनाया जाता है इस्लामी कैलेंडर में पहला महीना मुहर्रम का है। इस माह को पाक महीने में से एक माना जाता है। मान्यता है कि रमज़ान के महीने के बाद सबसे अच्छा रोजा मुहर्रम का होता है। इस पाक माह में इमाम हुसैन ने हक की खातिर शहीद हो गए थे। इस दिन को सब्र, कुर्बानी और ईमानदारी की मिसाल के रूप में जाना जाता है। इसे यौमे-ए-अशूरा भी कहा जाता है। 26 जून 2025 से शुरू होने वाली यह तिथि चंद्रमा के दर्शन के आधार पर बदलता है इस मुबारक महीने में अच्छे कर्मों का स्वभाव कई गुना बढ़ जाता है और कोई भी गलत काम अधिक गंभीर भी हो जाता है
कब है मुहर्रम
इस्लामी कैलेंडर 12 चंद्र महीनों पर आधारित है। नए चांद दिखने के साथ ही एक नए महीने की शुरुआत होती है। भारत में मुहर्रम 26 जून को अर्धचंद्र दिखने के बाद शुक्रवार, 27 जून को शुरू हुआ था, जो दसवां दिन तक अशूरा के रूप में मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल मुहूर्रम 6 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी।
कब है अशूरा
बता दें कि मुहर्रम के 10वें दिन अशूरा मनाया जाता है। इस पाक दिनों में से एक माना जाता है। अशूरा के दिन कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन की शहादत भी हुई थी, हुसैन पैंग़ंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे थे। अशूरा की सही तारीख स्थान और मुहर्रम 1446 के चांद के दिखने पर निर्भर करती है। बता दें कि इस साल अशूरा 6 जुलाई को मनाया जाएगा।
यौमे-ए-अशुरा कर्बला में क्यों मनाया जाता
अशूरा के दिन इमाम हुसैन और उनके साथी यजीद के जुल्मों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। अशूरा के दिन इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ही मुहर्रम की दस तारीख को कर्बला में मातम मनाया जाता है। इराक की राजधानी बगदाद से 100 किलो मीटर दूर उत्तर-पूर्व में एक छोटा सा कस्बा है कर्बला जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों को शहीद कर दिया गया था।
शोक और गम के रूप में मनाया जाता है मोहर्रम
इस बार मुहर्रम का महीना 26 जून से शुरू हो गया है. मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है जिसे शोक और गम के रूप में मनाया जाता है. इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग शादी या कोई भी शुभ आयोजन नहीं मनाते हैं, सिर्फ और सिर्फ मातम मनाते हैं. मुहर्रम के महीने का खास दिन अशुरा होता है जो कि 10वें दिन होता है. इस बार अशुरा 6 जुलाई को है. दरअसल, इस दिन लोग पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं जो 680 ई. में कर्बला की जंग में अपने परिवार के साथ शहीद हुए थे