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डा एकता कि कलम से —–


*एक झलक पाने की खातिर, उसकी दुआ दिन रात करती थी*

*कभी जाहिर नहीं खुलेआम करती थी।*

*हमारा प्यार ऐसा था*

  *जहां चांदनी रातों में ,अकेले में तारों से अक्सर हम बातें किया करते थे।*

*दिलों से खेल ही जाते हैं ,नादान लोग के*
*दिल कांच सा है ,अक्सर टूट ही जाता है*
*अगर मोहब्बत हो जाए किसी से, मुकद्दर रूठी  ही जाता है*
*मुसाफिर  संग चलोगे सफर छूट ही जाता है*
*कभी जो धड़कन तक न पहुंचे वह राग मत होना*
*जो दिल को ना छुपाए वो अल्फ़ाज़ मत कहना*
*इस नादान दिल को चाहे जो भी कह लेना ,नाराज मत होना*
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