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बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड होगा हाईटेक, डिजिटल पोर्टल से जुड़ेगा : मृत्युंजय झा



जहानाबाद, 14 जुलाई:
बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय कुमार झा ने कहा है कि संस्कृत शिक्षा को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। बोर्ड को हाईटेक बनाने के तहत डिजिटल पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जो अन्य शिक्षा बोर्डों के पोर्टल से भी अधिक उन्नत होगा।
  जहानाबाद के वेंकटेश्वर नगर स्थित वेंकटेश प्राथमिक सह माध्यमिक संस्कृत विद्यालय में आयोजित समीक्षा सह अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्हें चांदी का मुकुट पहनाकर, अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुई। नवम वर्ग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, वहीं वैदिक मंगलाचरण के साथ अतिथियों का स्वागत किया गया।

आधुनिक पोर्टल और मॉडल स्कूल की योजना

डॉ. झा ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मॉडल स्कूलों को सोशल मीडिया पर प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि डिजिटल पोर्टल के माध्यम से नामांकन, पाठ्यक्रम, परीक्षा और प्रमाण पत्र जैसी सभी सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएंगी।

गुरुकुल परंपरा का पुनर्जीवन

बोर्ड अध्यक्ष ने घोषणा की कि बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के सहयोग से राज्य के 400 मंदिरों एवं मठों में संस्कृत शिक्षा शुरू की जाएगी। इसके माध्यम से लगभग 40,000 नए विद्यार्थी संस्कृत शिक्षा से जुड़ेंगे। इस दिशा में मंदिर-मठ संचालकों के साथ अनुबंध की प्रक्रिया चल रही है।

सीएसआर फंड से सहयोग का प्रयास

डॉ. झा ने बताया कि उन्होंने देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों से संपर्क किया है और सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के माध्यम से संस्कृत के मॉडल स्कूलों के विकास में सहयोग देने की अपील की है। उन्होंने कहा, “मंदिर निर्माण से अधिक ज़रूरी है विद्या का मंदिर बनाना। संस्कृत विद्यालय इसी दिशा में सशक्त माध्यम हैं।”

पाठ्यक्रम में ऐतिहासिक बदलाव

संस्कृत शिक्षा को प्रासंगिक और समृद्ध बनाने के लिए बोर्ड द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी उन्होंने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में श्रीरामचरितमानस और श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इसके अलावा भिखारी ठाकुर, दशरथ मांझी सहित बिहार के अन्य महान विभूतियों की जीवनी और साहित्यिक योगदान को भी संस्कृत पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाएगा।

शिक्षकों और समाज से सहयोग की अपील

बोर्ड अध्यक्ष ने सभी शिक्षकों से संस्कृत शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और संस्कार की आधारशिला है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बोर्ड द्वारा विद्यालयों की हर समस्या के समाधान के लिए वे प्रतिबद्ध हैं।

गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी

इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय शिक्षक संघ के प्रमंडलीय अध्यक्ष डॉ. एस.के. सुनील, संस्कृत महाविद्यालय सरौती के प्राचार्य डॉ. इन्द्रदेव शर्मा, वरिष्ठ शिक्षाविद् और लोजपा नेत्री डॉ. इंदु कश्यप समेत जिले के सभी संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं ने हिंदी एवं संस्कृत में स्वागत गीत प्रस्तुत किए, जिससे आयोजन का माहौल भावनात्मक एवं भव्य बन गया।

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