“ईश्वर दर्शन से जीवन का हर एक क्षण उत्सव बन जाएगा!”



गुलाब बबुना उच्च विद्यालय के सामने बालों बाबू की भूमि पर
20 से 26 मार्च 2025 तक
शाहपुर श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक ‘श्री आशुतोष महाराज जी’ की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी सुश्री आस्था भारती जी ने विदुर-विदुरानी जी के प्रेम का वर्णन कह सुनाया| भगवान तो भाव के भूखे हैं। जो भी उन्हें भावों से पुकारता है, वे शीघ्र ही वहाँ पहुँच जाते हैं।
उसके उपरांत भक्त प्रह्लाद की संकल्प यात्रा का वर्णन करते हुए साध्वी जी ने बताया कि प्रह्लाद की भक्ति का आरंभ माँ के गर्भ में मिलने वाले संस्कारों से हुआ| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संचालक व संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि (–9) के आगे (–10) रखने से (-19) बनता है लेकिन यदि (+10) रख दिया जाए तो (1) मिलता है| यही गणित जीवन में क्षमाशीलता के साथ है| यदि नकारात्मकता व बुराई का प्रतिकार उससे बड़ी बुराई से करेंगे तो बुराई हमारे मन व जीवन में कई गुना बढ़ जाती है| लेकिन यदि क्षमाशीलता, सहनशीलता जैसे सद्गुण रख दें तो वह कमतर हो सकारात्मकता को जन्म देती है| ऐसे सद्गुणों को आचरण में उतारने के लिए किसी life skill workshop या management guru की नहीं, बल्कि Spiritual गुरु की ज़रूरत है, जो हमारे perception को बदल दे| दिव्य गुरु के मार्गदर्शन में आज सद्गुणों से युक्त जन स्वयं के उत्थान के साथ-साथ समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं| कामधेनु प्रकल्प द्वारा गौ संरक्षण, बोध प्रकल्प द्वारा नशे का उन्मूलन, मंथन प्रकल्प द्वारा बच्चों को शिक्षा के अवसर आदि अनेक प्रकल्प समाज उत्थान हेतु कटिबद्ध हैं|
प्रह्लाद ने यदि प्रभु की गोद को प्राप्त किया तो देवर्षि नारद जी के द्वारा। शुकदेव मुनि ने राजा जनक की शरणागति से प्रभु दर्शन पाया| अर्जुन ने विराट स्वरूप का साक्षात्कार किया तो जगद्गुरु भगवान श्रीकृष्ण की महती कृपा से। राजा जनक जीवन की सत्यता को समझ पाए लेकिन गुरु अष्टावक्र जी के माध्यम से। मुण्डकोपनिषद् भी कहता है-
तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत् ।
समित्पाणिः श्रोत्रियंब्रह्मनिष्ठम् ।।
आज कथा की दिव्य सभा में होली पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया| सभी श्रद्धालु प्रभु प्रेम व भक्ति के रंगों से सराबोर हुए|