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मेरा मन मेरे विचार


मुझे चांद सितारों से अकेले में बात है
ये सुंदर सा जीवन मेरा रब का उपकार है ……
अनमोल जीवन की कर्ज मैं उतार दूं
थोड़ी खुशियां दे दे रब्बा अपनों संग मै बांट लूं…….
कुछ ऐसा कर जाऊं मैं जिससे मेरा नाम हो
मेरे साथ चलने वालों को भी कुछ गुमान हो……
कर्म पथ पर आगे बढ़कर कार्य से संवार दूं
मैं क्या हूं ये तेरे बीच में खुद को निखार दूं …….
वक्त का साथ हो साथी मेरे सर पर हाथ हो
शिकवा शिकायतों से तुझको उबार दूं…….
सुविचार आए मन में कुविचार त्याग दूं
जीवन पथ पर हर दिन साथी नई शुरुआत दूं……..✍️✍️
नाम: कुमारी मानसी (अनुसंधायिका)
हिंदी विभाग
मगध विश्वविद्यालय बोध गया (बिहार).